वो अंधकार से लड़ रहा है
वो हर बात को समझ रहा है..जान रहा है
उसके लिए कुछ... कुछ भी असंभव नही
पेड़ की टहनियों का उनसे अलग होना
एक तने का रोना
पके फल का टूटकर गिरना और फिर उसका हश्र
फिरसे बने बीजों से नए पौधे तैयार होना
ये सब देखकर,
टूटकर जुड़ना नहीं,
टूटकर नया बनना सीख रहा है वो,
पेड़ों से...उनके तनों से
उनके फलों से भी..
अकेले में कभी-कभी छटपटाता है
बौखलाकर खुद को आईने में देखता है
और जोर-जोर से रोता है
और फिर अचानक...
आईना तोड़ देता है...
जानते हो आईना क्यों टूटा?
क्योंकि उसका धैर्य,उसका साहस छूटा
हाँ इसीलिये...इसीलिये वो आईना टूटा....
सुशान्त मिश्र
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